दुल्हिन! हे दुल्हिन! सुनैछी, मामा ने माँ को हाँक लगते हुए कहा| जी सरकार जी| काल्ह तिलसकरात हई त तिल, मुढ़ी आ चिउरा के लाई आई बनतई, से है न याद| आ काल्हे से सूरज भी उत्तरायण होथिन त पंडित जी से होम करवायल जतई| रमेसरा के कहवइ, जे आइये हुनका न्योत अतई| आ ओने …