
का हाल बा भैया? सब ठीक बा न? भोरे भोर तोहार माथा पर ई परेशानी के निशान कहेला देखा रहल है?? घर, परिवार में सब ठीक है न? बच्चा सिंह ने सुबह की सैर पर टुनटुन सिंह से पूछा|
हाँ रे बच्चा, घर, परिवार में त सब ठीके है- टुनटुन सिंह ने धीमे स्वर में कहा|
अरे जब घर परिवार में सब ठीक है त खकस से बोलिये भैया | एतना मरल स्वर में काहे बोल रहलЅ हЅ ?
बच्चा सिंह के इतना कहते ही बगल से रामनिहोरा सिंह बोले, हाँ भैया कोई परेशानी है त खुल के बताइये, हो सकता है आपके इस परेशानी का हम कोई हल सूझा सकें|
परेशानी नहीं है रामनिहोरा भाई, चिंता हो रही है| तिला सकरात से ठीक एक दिन पहले 13 तारीख से पक्ष बदल रहा है त उ बदले हुए पक्ष में ग्रह के चाल देखके हमर बीपी बढ़ल है| अब देखो कुंडली तुमलोग भी देखो| कुंडली देखना सिखाए थे न तुम दोनों को| याद है कि भूल गए? अपने मोबाइल फ़ोन में कुंडली दिखते हुए टुनटुन सिंह बोले|
अरे नहीं भैया सब याद है| दिखाइए कुंडली|
ई देखो|
अरे हाँ भैया, लग्नेश शनि अपने से बारहवें भाव में चला गया और केंद्र भाव और त्रिकोण भाव यानि कि पहला भाव, चौथा भाव, सातवां भाव और दशवां भाव, ये तो हो गए केंद्र भाव एवम पंचम भाव और नवम भाव हो गए त्रिकोण भाव| इन भावों पर एक भी शुभ ग्रह का प्रभाव नहीं है| देश के स्वास्थ्य के लिए चिंता बाजिब है भैया|
फिर दशम का स्वामी तीसरे भाव में है, हालाँकि वहां से वह अष्टम दृष्टि से दशम भाव को देख रहा है, ये बचावकारी दृष्टि है लेकिन दशम में केतु का बैठना और नवांश कुंडली में दशम भाव में शनि का बैठना वह भी अष्टमेश होकर, सरकार के लिए मुश्किल पक्ष की ओर इशारा कर रहा है|
मतलब सरकार का किसानों को अपने पक्ष पर सहमत कर पाना मुश्किल होगा, भैया?
हम्म्म !
और भाई, शुक्र ने तो भौकाल मचाकर रखा है| ग्रहों के साथ मिलकर रहना ही नहीं चाह रहा है| हर फ्रंट से क्रांति का बिगुल फूंकना चाह रहा है|चाहे वह राजनैतिक फ्रंट हो, प्राकृतिक फ्रंट हो, आर्थिक फ्रंट हो या खेती-किसानी फ्रंट हो|
पिछले कुछ दिनों से इस शुक्र के व्यवहार ने हमारी चिंता को बढ़ा दिया है|
तो अब इस शुक्र का क्या करें? चलिए, चलकर शुक्र से बात की जाये| हर एक से उसकी नाराजगी की वजह पूछी जाये|
शुक्र को जानना कोई खेल बात नहीं है| जब भी हमको लगता है कि हम इसको जानने लगें हैं यह उसी क्षण अपना स्वभाव ऐसा बदलता है ओर इस सहजता से आगे बढ़ जाता है मानों कुछ हुआ ही न हो| इसीलिए चाहकर भी हम सहज नहीं हो पा रहे हैं, क्योंकि अभी तो यह शुक्र सिर्फ दिमागी दांव पेंच ही लगा रहा है, आगे यह खुलकर सीना तान के मैदान में आ जायेगा ओर तब सूर्य के संभाले भी यह नहीं संभलेगा|
बच्चा सिंह ने बीच में ही टुनटुन सिंह को टोकते हुए कहा, अच्छा त भैय्या एक बात बताइए कि शुक्र के इस व्यवहार का और क्या प्रभाव होगा?
1 – पहला तो यह कि हिमपात और बारिश तो होगी लेकिन दिन और रात के तापमान में बहुत उतार चढ़ाव होगा| ओस कम बनेगा| सरसों, तोरी की फसल के नुकसान का तो संकेत है ही, गेहूं की फसल को भी नुकसान होने की स्थिति शुक्र ने तैयार कर रखी है|
हाँ भैया बात तो आपकी सही है क्योंकि नवांश में भी चतुर्थ भाव पर मंगल और शनि दोनों का प्रभाव है और चतुर्थ भाव का स्वामी बारहवें भाव में है, उसपर भी शनि का प्रभाव है|
शनि का आठवें भाव का स्वामी होकर चौथे घर को इस तरह प्रभावित करना किसानों की मुसीबत को तो बढ़ाने वाला है ही|
आपको और क्या लगता है भैया?
जमीन और मकान के दामों में गिरावट होंगे| ये एक अच्छी खबर है खरीददारों के लिए|
दूसरा यह कि आर्थिक सुधार को लेकर कितने भी उपाय किये जाएं, शुक्र के इस रवैये के कारण कोई भी इस मंदी को सुधारने में मददगार साबित नहीं होगा|
स्नायु तंत्र से सम्बंधित बीमारियों में वृद्धि ओर मनोरोग में वृद्धि होगी|
आखिर ऐसा कब तक चलेगा भैय्या, रामनिहोरा सिंह ने पूछा|
गहरी सांस लेते हुए टुनटुन सिंह ने कहा कि अभी तो चलेगा|
और भैया सात ग्रह 50 * के भीतर आ रहे हैं और दूसरी तरफ मंगल राहु से मिलने को बेचैन हो रहा है|
हाँ रे, तभी तो मैं चिंतित हूँ| प्रकृति माँ कुछ ज्यादा ही गुस्से में है| पता नहीं ये किस करवट बैठेगी|
लेकिन एक बात है कि आगे शनि और गुरु के साथ अमृत पिपासु राहु का गुप्त सम्बन्ध बनेगा, जो थोड़ा बहुत बदनामी तो देगा लेकिन कुल मिलाकर विकास हेतु एक दिशा निर्देश निर्धारित करेगा|
वाह भैय्या ये तो आपने बड़े पते की बात कही|
अपनी सभी परेशानियों और चिंताओं को इन तीनों के हवाले कीजिए और आइये दौड़ लगाइये ..
हिंदी दिवस की जय बोलिये..