
वैश्विक राजनैतिक समीकरणों में आते बदलाव, सत्ता के शक्ति का शनैः शनैः पश्चिम से पूर्व की ओर हस्तांतरण, देश के भीतर हो रही गतिविधियां और इन सभी के बीच शीघ्रता से बदलती हुई ग्रहों की चाल भारत के लिए क्या संकेत लेकर आये हैं ? क्या आर्थिक रूप से भारत की स्थिति में आने वाले समय में सुधार होगा? क्या लोगों की नौकरियां सुरक्षित है? क्या भारत और चीन के साथ भारत की तनातनी समाप्त हो गयी है? पाकिस्तान की तरफ भारत का क्या रूख रहेगा ? इसी प्रकार के तमाम प्रश्न सभी के मन में है|
इक्कीसवीं शताब्दी, ज़र्मनी, यूरोपीय देशों और अमेरिका के कमजोर होते वैश्विक राजनैतिक ताने बाने के बीच भारत के पुनः उठ खड़ा होने की शताब्दी के रूप में जानी जाएगी| भारत इस प्रयास में सफल न होने पाए इस हेतु न सिर्फ चीन बल्कि कुछ अन्य राष्ट्र भी भारत के इस प्रयास को विफल करने हेतु सक्रीय हो गए हैं| उधर चीन ने नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान में जहाँ अपनी सहयोगात्मक भूमिका बढ़ाई है वहीं पाकिस्तान भी अपनी दिनों दिन कमजोर होती जाती अर्थव्यवस्था के बीच भारत की सीमा पर उपद्रव करता रहता है|
भारत को किस प्रकार की रणनीति बनानी चाहिए? किस स्तर की तैयारी करनी चाहिए?
चाणक्य ने एक बार कहा ‘ युद्ध रोकना है तो युद्ध के लिए तैयार रहो| अगर तैयार नहीं रहोगे तो युद्ध आप पर थोप दिया जायेगा|
चीन का रुख :-
देश में पिछले कुछ समय से चल रही गतिविधिओं के साथ साथ ग्रहों के संचार भी कुछ इसी तरफ संकेत दे रहे हैं| आने वाले सितम्बर माह में राहु का गोचर भारत के लग्न से होगा जो कि आने वाले अट्ठारह महीनों तक रहेगा| चीन के साथ सीमा विवाद तो फिलहाल समाप्त होनेवाला नहीं है| भारत को बहुत ही कूटनैतिक तरीके से आगे बढ़ना होगा| मैंने पहले भी कहा है कि चीन सिर्फ देश की सीमा तक नहीं आया है वरन इसकी जड़ें (भारत की दशा के अनुसार )देश के भीतर तक प्रवेश पा चुकी हैं| अर्थात राहु के अट्ठारह माह के वृष राशि का गोचर अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड की तरफ भी चाक चौबंद बंदोबस्त करने का संकेत देते हैं| आने वाले नवंबर, दिसम्बर और जनवरी माह में चीन की तरफ से भारत में आतंरिक गतिविधियां बढ़ाई जा सकती हैं|
चीन की बदलती दशाओं के संकेत के अनुसार,आर्थिक अस्थिरता और आंतरिक अस्थिरता की वजह से चीन अभी सीधे सीधे युद्ध की स्थिति में नहीं है | वह अभी अपनी आर्थिक शक्ति बढ़ाने के प्रयत्न में लगा है| जैसे ही वह यहाँ सक्षम हो जायेगा, तो फिर उग्रता दिखाएगा| इसलिए चीन की तरफ से निश्चिन्त होने के साथ साथ चीन पर भरोसा करने का समय फिलहाल नहीं है| सीमा विवाद आने वाले कुछ वर्षों तक सुलझता हुआ नहीं दिखता है|
इन सबके बीच भारत की बदलती दशाओं का यह संकेत है कि सुनियोजित तरीके से की गयी तैयारी( उपयुक्त विचार, बेहतर रणनीति और सफल क्रियान्वयन) न सिर्फ हमें आर्थिक रूप से सशक्त करनेवाला होगा वरन विश्व के पटल पर भी पुनर्स्थापित करनेवाल होगा| हर स्तर पर सुधारवादी प्रयास दृष्टिगोचर होंगे चाहे वह रक्षा तंत्र हो या सामाजिक तंत्र हो|
पाकिस्तान के लिए भारत की रणनीति :-
पिछले कुछ समय से देश के प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और रक्षा प्रमुख द्वारा पाकिस्तान को लेकर दिए जाने वाले बयानों, ग्रहो का संचार और शरभतोभद्र चक्र में मकर राशि, वृषभ राशि के साथ वार और तिथि का वेध के अनुसार आगे आने वाले मई, जून’ 2021 में भारत और पाकिस्तान की भिड़ंत हो सकती है| मिशन POK की शुरुआत की जा सकती है|
आर्थिक रूप से हमें सशक्त होना पड़ेगा लेकिन ग्रहों का संचार 2021 में भी आर्थिक पायदान पर भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर खास सुधार का संकेत नहीं दे रहे हैं| अगले वर्ष मार्च अप्रैल से स्थिति में हलकी सी सुधार देखी जाएगी किन्तु विकास की दृष्टि से वह नगण्य माना जायेगा| परिणाम रोजगार के कम अवसर, नौकरी में छटनी के रूप में परिलक्षित होगी|
भूतकाल में हमने देखा है कि कैसे एक गलत विचार( हिंदी चीनी भाई भाई ) कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं|
अपनी ही गलतियों से सबक लेकर हमें आगे बढ़ना है| नए चाणक्यों की खोज करनी है और नए भारत के निर्माण में उनका मार्गदर्शन लेना है| युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू करनी है| हर एक को अपनी अपनी सकारात्मक भूमिका तय करने का समय है| सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का समय है| भारत को फिर से भारत बनाने का समय है|
@ बी कृष्णा