

वराह पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी, बुधवार के दिन, हस्त नक्षत्र में गंगा स्वर्ग से धरती पर आई थी इसलिये इस दिन को माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्कन्द पुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी गई है इसमें स्नान और दान तो विशेष रूप से करें।
राजा भगीरथ के कठिन प्रयासों और तपस्या से ही गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थी, इसे ही ‘गंगावतरण’ की कथा कहते हैं।
इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के दस प्रकार के पापों का नाश होता है।
इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है।
British Microbiologist.. Earnest Hankin ने 1896 में कहा कि गंगा और यमुना के पानी से हैजा और कोलरा जैसी बीमारी से लोग ठीक हो जाते हैं।
जिस बात को Earnest Hankin ने 1896 में जाना और विश्व के समक्ष रखा उसे हमारे पूर्वज हजारों वर्ष पूर्व ही जान चुके थे तभी उन्होंने गंगा पूजन और गंगा स्नान का विधान बनाया ।
आज के विषाणु संक्रमण के संदर्भ में भी इसे देखे जाने की जरूरत है..