
शनि का गोचर अगर कुंडली के अष्टम भाव से हो रहा है तो यह उम्मीद बन कर आया है या निराशा लेकर आया है ?? खासकर तब यह चिंता और बढ़ जाता है जब शनि का गोचर अष्टम भाव में उपस्थित चन्द्रमा के ऊपर से हो रहा हो| बगैर कुछ कहे हम मनोवैज्ञानिक दवाब में आ जाते हैं|
क्या है इसका रहस्य ??
क्या हमें सावधान और सचेत हो जाने की आवश्यकता है ??
या आनंद की स्थिति छाने वाली है ??
इन्ही प्रकार के तमाम प्रश्नों का हल प्रदान करता है यह वीडियो ..